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औरंगाबाद इज्तेमा की सराहना सात समुन्दर पार भी


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देश व् दुनिया में मुसलमानों के खिलाफ एक माहौल बनाया गया है, क्यों की हक और बातिल के बिच हमेशा से बेबनाव रहा है. और हर वक्त, हर पल हक़ सामने आ रहा है और बातिल को शर्मसार होना पड़ रहा है. ऐसा ही एक वाकिया औरंगाबाद इज्तेमा का है. औरंगाबाद इज्तेमा में आने वाले लोगो के लिए जगह-जगह सडको पर नाश्ते और पानी का इन्तेजाम किया गया था. इस दौरान शिरडी जाने वाले हिन्दू भाइयो की दिंडी का वहां से गुजर हुआ तो इज्तेमा के इन्ताजामियो दिंडी में शामिल भाविको को आराम से बैठाकर इज्जत व अहेतराम से पानी पिलाया. इस व्यवहार की सभी स्तरों से सराहना की जा रही है. इस इज्तेमा में 14 देश के लोग उपस्थित थे.

ऐसे वाकियात कई है, जैसे बहुजन क्रान्ति मोर्चा वालो को पानी पिलाना, रास्ते पर गिरा कूड़ा उठाना, कावड़ियों को पानी पिलाना, उनकी मरहमपट्टी करना, लेकिन इस वक्त ख़ास बात यह थी की औरंगाबाद में मजहबे इस्लाम का धार्मिक इज्तेमा था, इस दौरान इस्लाम क्या है, यह इज्तेमा के नौजवान सेवको ने बता दिया के इस्लाम में छुआछूत, वर्णव्यवस्था, उंच-नीच, अपना पराया कुछ नहीं होता, इस बात की चर्चा और सराहना हमारे भारत दे३श के साथ कई देशो में हो रही है. कहा जा रहा है की मुसलमानों पर कितना भी जुल्म करो, उनसे भेदभावपूर्ण व्यवहार करो, उन्हें देशद्रोही मुल्ला कहो या कुछ भी करो वह अपनी इंसानियत और न्याय वाला व्यवहार करना कभी नहीं छोड़ेंगे. 

आर्थिक हालात सही न होने की वजह से स्कूल नही जा सकते, मदरसो मे पढ़ लेंगे, अगर पढ़ लिखकर भी सरकारी नौकरी न मिले तो प्राइवेट नौकरी कर लेंगे, सब्जी बेच लेंगे, किसी कोने में पान का ठेला लगा लेंगे, पंचर बना लेंगे, अपने जमीर को गिरवी रखकर भीख मांग लेंगे, 18 प्रतिशत आरक्षण के वादो पर भी ठगा सा महसूस करके सब्र कर लेंगे. रेल की पठारिया नहीं उखाड़ेंगे, अपने देश की सम्पत्ति को नुकसान नही पहुचायेगें, आग नही लगायेंगे, बसें और थाने नहीं जलाएंगे क्यूंकि हम पैगम्बर मुहम्मद स. के उम्मती है और टीपू सुलतान, वीर अब्दुल हमीद, अश्फाक उल्ला खां, अब्दुल कलाम की कौम से हैं। हाँ हम मुसलान है भारतीय मुसलमान है.

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