औरंगाबाद में आयोजित तीन दिवसीय आलमी इज्तेमा आज 26 फरवरी को दुआ के साथ अमन और शान्ति से संपन्न हुआ. जिसके बारे में हमने एक रिपोर्ट तैयार की है, हमें आशा है आप पूरी रिपोर्ट सुनेंगे चाहे आप किसी भी जाती, धर्म, या फिरके से हो.
औरंगाबाद के इज्तेमा के लिए 10 हजार से ज्यादा युवाओं ने मेहनत की, लगभग 80 लाख लोग शामिल हुए थे, और करोडो लोगो ने इज्तेमा की कामियाबी की दुआ की थी और सैकड़ो लोग थे जो आलोचना भी कर रहे है. आलोचकों को हमारा जवाब इसके लिए हमारा पार्ट 02 विडियो देखिये.
इज्तेमा की खूबियाँ और हमने इसमें क्या देखा और क्या सिखा इसपर रौशनी डालते है. जिस इज्तेमा में लगभग 80 लाख लोग शामिल हुए थे. इसमें करीब 14 देश के लोग भी शामिल थे. ना किसी ने भड़काऊ नारे लगाए, ना किसी ने किसी अन्य धर्मी को जबरदस्ती अल्लाहुअकबर बुलवाया, ना किसी ने किसी देवता, रूशी, साधू संतो का अपमान किया, ना किसी भी धर्म पर टिका टिपण्णी. आप अंदाजा लगाईये हमारे घोरो में शादिया होती है, जिसमे 500 से हजार लोग आते है और पांच लोगो की चप्पल चोरी हो जाती है कई लोगो को खाने के इन्तेजाम में कमी के कारण बिना खाए लौटना पड़ता है. लेकिन इज्तेमा के इतने बड़े विशाल मजमे में किसी एक इंसान की चप्पल चोरी होने की शिकायत नहीं, किसी का महँगा या सस्ता मोबाइल चोरी की भी कोई शिकायत नहीं. ट्राफिक की भी कोई समस्या निर्माण नहीं हुई. कोई झगडा वैगैरा तो दूर किसीने किसी को अरे कहा ऐसी भी शिकायत नहीं मिली, इज्तेमा में हजारो शादियों का भी आयोजन किया गया था, जो बिना किसी फिजूल खर्ची के संपन्न हुआ.
खाने के लिए किसी को कोई परेशानी नहीं. छोटी बड़ी गाड़ियां लगभग 2 लाख थी, पार्किंग में कोई दिक्कत नहीं आई. सब लोग अमन और शान्ति से आये और आज दुआ के बाद वापसी पर है. हमने पहले भी उल्लेख किया था वैसे ही पुलिस को किसी भी तरह के शिकायत का मौक़ा नहीं मिला. मुस्लिम नौजवान खुद ट्राफिक कंट्रोल कर रहे है. जगह जगह पानी खाना और नाश्ते का इन्तेजाम किया गया था. खाने की जांच के लिए एक कमिटी का गठन किया गया था. लाखो लोगो में किसी एक ने भी खाने की शिकायत नहीं की और ना कोई फ़ूड पोइज़न शिकार हुआ.
उलेमा-ए-किराम ने सिर्फ और सिर्फ दिन और सियासी बात की किसी ने किसी विशेष जाती या धर्म पर कोई टिपण्णी तो बहुत दूर की बात अन्य धर्मो का नाम तक नहीं लेकिया. लेकिन मुसलमानों को अन्य धर्मियों के साथ न्याय और अच्छा व्यवहार करने की अपील की गयी है. और हमारे देश में अमन और शान्ति बनी रहे इसके लिए खुसूसन दुआ की गयी है. आपको बता दे की यह इज्तेमा इस्लाम का धार्मिक इज्तेमा होने के बावजूद यहाँ हरे काले पीले झंडे तो नहीं दिखाई दिए लेकी तिरंगे शान से लहरा रहे थे.
इस इजेमा के आखरी दिन यानी 26 फरवरी को सभी महाराष्ट्र के उर्दू स्कुलो को सरकार ने छुटी जाहिर की थी. इसके साथ ही शिवसेना की कोशिसो के बाद महाराष्ट्र टोलफ्री रहा. इज्तेमा की गाडियों को तोल्मुक्त किया गया था. इसके लिए शिवसेना को श्रेय दिया जाता है. रेलवे विभाग ने कई स्पेशल रेल छोड़ी थी. और कई बसेस भी. आपको बता दे की सबसे अहम भूमिका इसमें पुलिस की रही. इज्तेमा में आने वाले कितने भी अमन पसंद क्यों ना हो लेकिन फिरभी पुलिस की जरुरत पड़ी क्यूंकि जिस तरह हम कितनी भी धीमी स्पीड में गाडी चलाये पीछे से कोई थोक दे तो गलती हमारी नहीं होगी लेकिन नुक्सान हमारा ही होगा. इसी तरह पुलिस की सराहना जितनी की जाए उतनी कम है. एसडी लाइव 24 की ओर से पुलिस प्रशासन को लाख-लाख धन्यवाद, महाराष्ट्र सरका का भी धन्यवाद जिन्होंने स्कुलो को छुट्टी जाहिर की और गाडियों को टोलफ्री किया, रेलवे विभाग का भी धन्यवाद. और उन सभी गैरमुस्लिम भाइयो का भी तह दिल से धन्यवाद जिन्होंने इज्तेमा की सफलता के लिए मेहनत की. विडियो पार्ट 02 जरुर देखे आलोचकों की आलोचना
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