Type Here to Get Search Results !

Click

किसकी औकात है हज यात्रियों को रोक कर दिखाए, हम ढाल बनकर खड़े है -सुजीत जैसवाल

जब हमारे अमरनाथ यात्रियों के लिये #सलीम खड़ा हो सकता है,तो हज यात्रियों के लिये हम भी ढाल बन कर खड़े हैं,जिसकी औकात हो रोक कर दिखाये

दोनों की उम्र लगभग एक बराबर की थी,,एक ही मोहल्ले में पैदा हुए जमाल और अनिल का परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार था,,,आजादी के बाद हुए बंटवारे के समय जमाल के दादाजी ने पाकिस्तान जाने की सोची भी नहीं क्योंकि जिस भारत की आजादी के संग्राम में उन्होंने जेल में बर्फ की सिल्लियों पर सर्द रातें काटीं हों अपने उस मुल्क भारत को छोड़ कर जाते भी तो कैसे?? इसी मिट्टी में दफ़न होने की सोच को जीते हुए वो यही रहे और अपनी आखिरी सांस ले कर अपनी मिट्टी में दफन भी हो गए,,,अनिल का परिवार तीन पीढ़ियों से अपने खानदानी व्यापार से जुड़ा था,,अनिल के दादाजी को विरासत में मिला हुआ फलों का व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की पर था,,अंग्रेजों के काले शासन के दौरान देश भर में फैले स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सा लेते हुए उनके जेल जाने के दौरान जमाल के दादा जी से हुई मुलाकात ने आजादी के दोनों मतवालों को एक दूसरे से एक अटूट धागे में पिरो दिया,,मुल्क के बंटवारे के दौरान जमाल के परिवार को धंधा पानी और मकान खड़ा करने में की मदद से शुरू दोनों परिवारों के बीच की स्नेह की अटूट डोर आज तीसरी पीढ़ी के बीच में भी उतनी ही अटूट थी,,,




यूँ तो अनिल और जमाल अपनी पढ़ाई को लेकर काफी संजीदा थे ,,,अनिल इंजीनियर बनना चाहता था,और जमाल का सपना प्रशासनिक सेवा में जाने का था,,,अपने इस लक्ष्य की पहली सीड़ी चढ़ते हुए दोनों ने आज ही अव्वल नंबरों से इंटर की परीक्षा पास की थी,,दोनों बहुत खुश थे,,हीराचंद हलवाई की दुकान पर मिठाईयां खरीदने पहुंचे थे,,और दिनों के मुकाबले आज ग्राहक ज्यादा दिख रहे हैं चचा??नमकपारे के दो तीन टुकड़े उठा कर खाते हुए जमाल ने कहा,,
 
कुछ नही जमाल बेटे,,,वो क्या है न कि बगल के क्रांति मैदान में आज रैली है,,चुनाव् होने वाले हैं अगले साल ,,उसी रैली में बस भर भर कर बाहर से लोग आये हैं,,उसी में से लोग हैं चाय नाश्ता कर रहे हैं,,,, चाचा इस बार क्या लगता है ,,फिर से सरकार आएगी इनकी,अनिल ने मुस्कुराते हुए पूछा,,
बेटा इस बार तो इनका डब्बा गोल हो जायेगा,,अबकि ये गये तो 20 साल तक नहीं आएंगे,,,सिर्फ धोखा दिया है इस सरकार ने,,इस बार जनता इनके चक्कर में नहीं आने वाली,,15 साल से इनको वोट दे रहा हूँ लेकिन इस बार नहीं,,,अच्छा ये सब बातें बाद में,,ये लो अपनी मिठाईयां, मिठाई के पैकेट पकड़ाते हुए हीराचंद ने कहा,,,
अनिल ने बाइक स्टार्ट की और पीछे बैठे जमाल के साथ घर की तरफ चल पड़ा,,,
रास्ते में पड़ने वाले मंदिर में दोनों ने दर्शन करके और पीर बाबा की दरगाह पर चादर चढ़ाई,,आखिर दोनों की इंटर की परीक्षा अव्वल नंबरों से पास होने की मन्नत जो पूरी हो गयी थी,,
7 महीने बीत गए हैं,,,




देश भर में माहौल बिगड़ा हुआ,,जगह जगह दंगों की आग जल रही है,,,
इस आग से अनिल और जमाल का शांतिपुर क़स्बा भी जल रहा है,,वो हनुमान मंदिर ,वो पीर बाबा की दरगाह भी इन दंगों की आंच से बच नहीं पाए,,,,,,

दंगों के कुछ महीने बाद ,,,
देश में फिर से वर्तमान सरकार की जीत हुई है,,,पटाखे दग रहे हैं मिठाईयां बाँटी जा रही हैं,, कार्यकर्त्ता फिर से सरकार बनने पर नाच रहे हैं,,,,,
लेकिन वहीं दूसरी तरफ कुछ दूर बनी एक जेल में दो नौजवान एक दूसरे के सामने नजरें नीची किये खड़े हैं,,,दरअसल ये वही अनिल और जमाल हैं,,, सियासत ने कुर्सी के लिये जो नफरत फैलाई उस नफरत का शिकार हो कर ये दो होनहार नौजवान जो इंजीनियर और अफसर बन कर अपना भविष्य बनाने के लिये जिस मंदिर और दरगाह पर मन्नत मांगी थी उसी मंदिर और दरगाह को आग के हवाले कर के आज दंगाई बन कर मुल्जिम बन चुके हैं,,,,,एक बार फिर से कुछ नौजवानों के हाथों से किताब छीन ली गयी,,एक बार फिर से नौजवान छला गया,,,,,एक बार फिर से नफरत के सौदागर अपने मंसूबों में कामयाब होकर दुबारा सरकार बनने पर उसी क्रांति मैदान में रैली कर रहे हैं ,,फिर से भाषण में वो झूठ की आवाज वो हंसी सुनाई दे रही है ,,,,शायद वो हंसी हंस रही है अनिल और जमाल जैसे नौजवानों पर जो आज भी नफरत की सियासत के हाथों की कठपुतली बने हैं,,,,

loading...


loading...


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies