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नई दिल्ली, पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया की राष्ट्रीय सचिवालय के पारित प्रस्ताव में बैठक ने गौरक्षा के नाम पर दिन प्रतिदिन बढ़ते हमलों की निंदा की और उत्तर प्रदेश तथा गुजरात सरकार से जनता की बहुमत जो बीफ का कारोबार करते और खाते हैं, के खिलाफ की गई हाल की कार्यवाईयों को वापस लेने की मांग की है। बैठक ने याद दिलाते हुए कहा कि जनता को अपनी पसंद की चीज़ खाने की अनुमति देना और पशु व्यापार से जुड़े लोगों को सुरक्षा प्रदान करना सरकार की बुनियादी ज़िम्मेदारियों में शामिल है।
हमलावर समूह लोगों को बुरी तरह मार पीट यहाँ तक कि कुछ की हत्या भी कर दे रहे हैं। होटलों में तोड़ फोड़ की जा रही है। गौरक्षक समूह बिना किसी कारण के हिंसक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, जैसा कि पहलू ख़ान के मामले में देखा जा सकता है, जो कि डेरी का काम करते थे, न कि गोश्त का। बीजेपी के द्वारा राजनीतिक अभियानों के लिए गौरक्षा के उपयोग ने पूरे तरीक़े से इस मामले का रूख़ देश भर के लाखों गरीब लोगों की ओर मोड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है।
यूपी की आदित्यनाथ सरकार की ओर से बूचड़खानों पर की जाने वाली कार्यवाई और उन्हें गैरक़ानूनी बता कर बड़ी संख्या में राज्य की जनता की रोज़ी रोटी पर हमला किया गया है। गौरक्षा पर गुजरात सरकार का नया क़ानून, दलित और अल्पसंख्यक समुदायों के बेगुनाह लोगों को परेशान करने के लिए अधिकारियों को अतिरिक्त शक्ति प्रदान करता है। इसी मामले में कुछ अन्य राज्यों में बीजेपी के अवसरवादी नज़रिये से साफ पता चलता है कि यह राजनीतिक पाखंड के अलावा कुछ नहीं है। उत्तर पूर्वी राज्यों यहाँ तक कि केरल में बीजेपी सत्ता में आने पर अच्छी क्वालिटी का बीफ खिलाने का प्रस्ताव देती है। बैठक ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के इस बयान का स्वागत किया कि खाना, खाने की आदतें और खाने की चीज़ बेचना जीने के अधिकार से जुड़ा मामला है और राज्य सरकार इस पर पाबंदी नहीं लगा सकती।