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ट्रम्प के चुनावों ने मुझे इस्लाम का रास्ता दिखाया -माइकल बने उबैदाह

मेरा नाम माइकल कमिंग्स था और इस्लाम कुबूल करने के बाद अपना नाम उबैदाह रखा है और यही इस्लाम में आने की मेरी कहानी है। केंटुकी ग्राम में मेरा बैप्टिस्ट परिवार था लेकिन मैं हमेशा अपने परिवार से अलग रहा था। विशेषतौर पर में दूसरी संस्कृतियों के बारे में जानना चाहता था। मेरे दोनों भाई सेना में शामिल हो गए और दोनों इराक में सेवा के बाद कैरियर के दूसरे क्षेत्रों में चले गए हैं। खैर उनमें से एक अब मातृभूमि की सुरक्षा में लगा है और दूसरा कॉलेज में ईसाई धर्म प्रचारक है।

मैंने बाइबिल को लेकर अपने दिमाग में आने वाले प्रश्न पूछे और जवाब नही मिलने पर ईसाई धर्म से दूर होता गया। मेरे सवालों का प्रचारक से जवाब नहीं मिला इसलिए मैं सच्चे धर्म की तलाश में जुट गया। ट्रम्प के चुनाव के दौरान मैंने मॉर्मन से रास्टाफ़ारियन तक बहुत कुछ देखा। उस नफरत के कारण इस्लाम को लेकर मेरी दिलचस्पी बढ़ी और फिर तलाश शुरू कर दी। मुसलमानों से पूछा तो उन्होंने कहा कि कुरान पढ़ो और मैंने पढ़ना शुरू कर दिया।


इस्लाम के बारे में जो सब कुछ मैंने सीखा है, सिर्फ मुझे समझ में आया इसलिए मैंने अपनी माँ को बताया कि मैं इस्लाम धर्म कुबूल कर रहा हूं जिससे वह खुश नहीं थी (अभी भी नहीं है)। फिर उसने मेरे भाइयों को मेरा फैसला बताया। मेरे इस्लाम में आ जाने के बाद वो मुझे दुश्मन के रूप में देखते है लेकिन चन्द परिवार के सदस्यों को खोने से मुझे 1.7 बिलियन नए भाई-बहन मिले हैं।

मैं अपने सभी दोस्तों को भी इस्लाम की दावत देता हूं और इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो इंशाअल्लाह जल्द ही इस्लाम स्वीकार कर लेंगे। मैं दुआ करता हूं कि अल्लाह मुझे और मेरे दोस्तों और यहां तक ​​कि मेरे परिवार को भी एक दिन इस्लाम में आने का रास्ता दिखा।



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