Wasim Akram Tyagi
जस्टिस खेहर हाथ में कड़ा पहनकर, किरपाण लगाकर, सर पर पगड़ी पहनकर और चेहरे पर दाढ़ी रखकर फैसला सुना रहे हैं कि की नौकरी के दौरान शम्सुद्दीन दाढ़ी नहीं रख सकता। अजीब नहीं लगता ? पुलिस स्टेशन परिसर में मंदिर बना होता है जाहि मंदिर में पूजा होती है। मगर किसी को आपत्ती नहीं कि सरकारी जमीन में मंदिर का क्या काम ? अक्सर पुलिस वाले हाथों में कलावा बांधे हुऐ रहते हैं, माथे पर तिलक लगाये रहते हैं इस पर किसी को आपत्ती नहीं। और न ही इसे अनुशासनहीनता माना गया। लेकिन शमसुद्दीन ने दाढी रखी तो उसपर अनुशासनहीनता का आरोप मढ़ते हुऐ उसे सस्पेंड कर दिया गया। यह दोहरी नीति बगावत को जन्म देती है सर।
मुंबई – महाराष्ट्र के मुस्लिम पुलिस कॉन्सटेबल ड्यूटी के दौरान दाढ़ी रखने के अपने फैसले पर अड़ा हुआ है। करीब पांच साल के सस्पेंड हुए कर्मी जहीरुद्दीन शमसुद्दीन बेदादे के वकील ने कहा कि उसने सुप्रीम कोर्ट के ऑफर को ठुकरा दिया है। वकील के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का ऑफर इस्लाम के कानूनों के खिलाफ है।
कोर्ट ने कहा कि वे अपनी दाढ़ी को केवल धार्मिक काल के दौरान रख सकता है, लेकिन उसने कोर्ट के इस ऑफर को ठुकरा दिया। दरअसल, बेदादे ने स्टेट रिजर्व पुलिस फोर्स में 16 जनवरी 2008 को बतौर कॉन्सटेबल ज्वाइन किया था। उनकी 2012 में जालना पोस्टिंग कर दी गई। जहां उन्होंने कमांडेंट के लिए अप्लाई किया। उन्हें मई 2012 में दाढ़ी रखते हुए भी कमांडेंट बना दिया गया। लेकिन पांच महीने बाद महाराष्ट्र गृह विभाग ने अनुशासनहीनता के तहत बेदादे को सस्पेंड कर दिया।
अपने साथ हुई नाइंसाफी के लिए बेदादे ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। निचली अदालत ने बेदादे को धार्मिक काल के दौरान दाढ़ी रखने की अनुमति दे दी। बेदादे इसके खिलाफ हाईकोर्ट में गुहार लगाई। हाईकोर्ट में भी बेदादे को यही सलाह दी गई। इसके बाद बेदादे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे यही नियम मानने को कहा तो बेदादे ने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया है।
चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि वे उसके लिए बुरा महसूस करते हैं कि लंबे समय से सस्पेंड है। सीजेआई ने कहा कि उन्हें इस नियम को मान लेना चाहिए और ड्यूटी ज्वाइन कर लेनी चाहिए। अगर ऐसा वह नहीं कर सकता तो इसमें उनकी मदद नहीं की जा सकती।