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फिर वायरल हो रहा है अशोक चव्हाण के नाम उबेद हुसैन का खुला पत्र

अशोक चव्हान भूतपूर्व मुख्यमंत्री के नाम उबैद बा हुसैन द्वारा सोशल मीडिया फेसबुक पर पोस्ट किया गया 23 जुलाई 2016 का खुला पत्र फिर हो रहा धड़ल्ले से वायरल.

खुला पत्र (ओपन लेटर)
आदाब अर्ज है...! अशोक चव्हाण जी,
मैंने आप के नाम के निचे खासदार नहीं लिखा। पर इस पर गुस्सा न तो आप हों न ही आप के चापलूस। नहीं लिखने की वजह है के आप को कौन नहीं पहचानता. पर अब डर लग रहा है कहीं आप के चापलूस कहीं इसे आप की शान में गुस्ताखी न समझे और मुझे आप के दरबार में लाइन हाज़िर न करा दें। सुना है आप ने तो कुछ चापलूस कार्यकर्ताओ की सुन कर नांदेड़ शहर के एक पत्रकार को अपने दरबार में बुलवाकर ज़ाकिर नाईक पर दिए गए अपने बयान वाली न्यूज़ को छापने के लिए खुप डांट फटकार लगाई है. लोकतंत्र में कितने लोगों का मुंह बंद कराएँगे आप ? अगर आप नहीं कहते तो भी हम समझ ही जाते नेताजी। आप के साथ जो आप के ख़ास है उसमे एक भी मुस्लमान नहीं हाँ सेक्युलर भी नहीं आप ने जिसे एमएलसी का टिकट दिया था मुसलमानो को चॉकलेट देकर, उस महान आत्मा ने आरएसएस के कुछ कार्यकर्ताओं के कहने पर इस्लाम के खिलाफ लिखे गए फेसबुक पोस्ट में गिरफ्तार किये गए नौजवान को छुड़वाया था. नांदेड़ में एक लीडरशिप हुआ करती थी जिन का नाम फ़ारूक़ पाशा था उनके इंतेक़ाल के बाद आज़ादी से अब तक नांदेड़ की सत्ता में आप के पिताजी और आप ही की सत्ता रही लेकिन किया वजह है के एक मुस्लिम एमएलए (मरहूम जनाब नुरुल्लाह खान) बनता भी है तो वो आप के पार्टी से नहीं ?. अगर आप ने मुस्लिम लेंडरशिप को खतम ही कार्डिया पर नेताजी जो मुस्लिम इलाके कि समस्यायें मलशुद्धिकरण प्रकल्प, ड्रेनेज और हैदरबाग़ का दवाखाना बंद पड़ा हैं आप इन के लिये कभी जमीन पर नहीं आते ? पर नेता मैं हिन्दू मुस्लमान की बहस से आगे निकलना चाहता हूँ और जो आप के पिताजी ने गृह मंत्री रहते हुए बाबरी मस्जिद के शहादत में कुछ न कर खामोश रहे इसके लिए मैं आप को ज़िम्मेदार नहीं समझता।


नेताजी आप महाराष्ट्र के मुख्य्मंत्री बहोत कम वक़्त के लिए थे इससे मुख्यमंत्री पद पे रहते आप से ज़्यादा अपेक्षा नहीं रही पर आप ने नांदेड़ में खासदार रहते हुए नांदेड़ के युवाओं को रोज़गार दिलाने किया काम किया पता नहीं। आज नांदेड़ में हज़ारो लोगों को रोज़गार देने वाली एन.टी.सी मिल बंद हुए एक ज़माना होगया है नई नस्ल तो अब इसे पहचानती भी नहीं होगी। सिपटा कंपनी भी अब अपनी आखरी सांसे नांदेड़ में ले रही है. आज नांदेड़ में कोई नौजवान ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए एमजीएम या यूनिवर्सिटी में दाखिला लेता है तो उसी समय उसके परिवार को समझ जाना होता है के तीन साल बाद लड़का रोज़गार के लिए अपना घर छोड़ देगा। आज नांदेड़ सिर्फ कामगारों की बस्ती बन गयी है नेताजी. अगर ये विकास है तो ऐसे विकास का किया मतलब ? जो नौजवानों को अपना शहर अपना घर छोड़ने पर मजबूर करदे। 


नांदेड़ अहेड तो हुआ नहीं हाँ पर आप के करीबी चापलूस अहेड होगये है. आप ने इन्हे कहाँ कहाँ कमाने नहीं दिया। इनको आपने घरकुल के घर खिला दिए इनको आप ने बोरवेल खिला दिए और सुना है कुछ दिन पहले ये लोग आशना नदी की माती भी खा गए. अब तो खुद कांग्रेसी भी मानने लगे हैं नेताजी आप के नेतृत्व वाले महापौर, सभापति और नगरसेवक मुआफ कीजियेगा गुत्तेदारो की सत्ता रहते हुए भी भ्रष्टाचार किया गया है. अब कुछ आघाडी के कार्यकर्ता जांच की मांग कर रहे हैं. आप पहल कीजिये नेताजी, आप नांदेड़ के खासदार है तो संसद में मोदी जी से कहिये के केंद्र के फ़ंड का मेरी पार्टी के तत्कालीन और इस समय के महापौर, सभापति, गत्तेदार एवं नगरसेवक और अधिकारियों ने कमीशन के चलते भ्रष्टाचार किया है और इसकी जांच की जाए. नेताजी जांच न हो तो आप अनशन पर बैठ जाए नांदेड़ के ब्रह्मपुरी और हर दलित मुस्लिम बस्ती के लोग आप के साथ अनशन पर बैठ जायेंगे। अगर निय्यत साफ़ हो तो पहल करें नेताजी।



कार्यकर्ता से याद आया नेताजी के मैं भी कभी युवा कांग्रेस का कार्यकर्ता था. एक साल काम करने पर मुझे युवा कांग्रेस का पद तो छोडिए नेताजी प्राथमिक सदस्यता भी नहीं मिली थी. बाद में जब कार्यकारणी जाहिर हुई तो पता चला कोई पूर्व आमदार का बेटा है तो कोई महापौर का बेटा। फिर नेताजी फिर आम कार्यकर्ताओ को किसी चापलुस घराणे मे पुनर्जन्म लेना होगा किया? आप आम कार्यकर्ताओ को किया समझते हैं ? अगर सत्ता कुछ चापलूस परिवारों तक ही सिमित होजाये या करदी जाये तो फिर जो पिछले महानगर पालिका इलेक्शन में और विधान सभा में हुआ वही होगा। सांप्रदायिक पार्टीयों का उदय नांदेड़ में होना ये सब आप के पापो का नतीजा है जो आप कार्यकर्ताओ के साथ करते आएं हैं उसका फल आप को मिला। हमें पता है नेताजी आप मैनेजमेंट के मास्टर है भोकर में और नांदेड़ उतर में आप ने सीट बचाई तो इसका मतलब किया है सभी को मालुम है अगर वहां विपक्षी पार्टी मैनेज नहीं होती तो बचा हुआ आप का जनआधार भी टाएटाए फिश होजाता।


आप के साथ जो लोग रह रहे हैं वो आप को जमीनी स्थिति से से सही तौर पर आपको अवगत नहीं कराते। आप की पार्टी का छोटा छोटा कार्यकर्ता भी नगर का सेवक बाद में पहले गुत्तेदार बनना चाहता है. अब चाह कर भी आप आपके इन कार्यकर्ताओ की कार्य-संस्कृति में बदलाव नहीं ला सकते।
नेताजी आप का जन आधार धीरे धीरे कम नहीं खत्म होरहा है..!
आपका
उबेद बा-हुसैन
सामाजिक कार्यकर्ता, नांदेड, महाराष्ट्र



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