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गैंगरेप, टॉर्चर, मर्डर, बर्मा में मुसलमानों का कत्लेआम

इंटरनेशनल डेस्क. इस समय दुनिया भर के कई देश आतंकी घटनाओं या गृहयुद्ध का सामना कर रहे हैं। जिसके चलते दुनिया भर में रिफ्यूजी की संख्या लाखों की तादात में बढ़ती जा रही है। इनमें भारत के पड़ोसी देश म्यांमार का नाम भी शामिल है। यहां बौद्ध धर्म के अनुयायी और अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच कत्लेआम जारी है। इससे रोहिंग्या मुस्लिम देश छोड़कर बांग्लादेश में शरण ले रहे हैं। सेना भी कर रही है रोहिंग्या मुसलमानों का कत्लेआम...

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संस्था यूएनएचसीआर के मुताबिक, म्यांमार में अब सेना भी रोहिंग्या मुसलमानों की हत्याएं कर रही है। सुरक्षा बल रोहिंग्या समुदाय के पुरुषों व बच्चों तक का कत्ले-ए-आम कर रहे हैं। महिलाएं रेप का शिकार हो रही हैं और मुस्लिमों के घरों को आग के हवाले किया जा रहा है। इसके चलते मजबूर होकर रोहिंग्या मुसलमान नदी के रास्ते बांग्लादेश भागने को मजबूर हो रहे हैं। यूएनएचसीआर का यह भी दावा है कि देश छोड़कर जाने वाले कई लोगों ने सुरक्षा बलों के हाथों बलात्कार, हत्या और लूट का शिकार होने की बात कही है। हालांकि म्यांमार सरकार ने इससे साफ इंकार किया है। म्यांमार सरकार का कहना है कि उनके देश को बदनाम किया जा रहा है, जबकि आर्मी रोहिंग्या मुस्लिमों की मदद कर रही है।



रोहिंग्या मुस्लिम प्रमुख रूप से म्यांमार के अराकान प्रांत में बसने वाले अल्पसंख्यक हैं। इन्हें सदियों पहले अराकान के मुगल शासकों ने यहां बसाया था। वर्ष 1785 में बर्मा के बौद्ध लोगों ने देश के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों का कत्ल कर इलाके से बाहर खदेड़ दिया। इसी के बाद से बौद्ध धर्म के लोगों और रोहिंग्या मुस्लिमों के बीच से हिंसा और कत्लेआम का दौर शुरू हुआ, जो अब तक जारी है।
म्यांमार में करीब 10 लाख रोहिंग्या मुस्लिम रहते हैं, लेकिन म्यांमार की सरकार इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती है। इस तरह इन लोगों का कोई देश ही नहीं है। ये शुरुआत से ही भीषण दमन का सामना करते आ रहे हैं। पिछले कुछ समय से देश में भीषण दंगे हुए, जिसमें जान-माल का सबसे ज्यादा नुकसान रोहिंग्या मुस्लिमों को ही उठाना पड़ा। इसके चलते ये बांग्लादेश और थाईलैंड की सीमा पर स्थित शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं, जहां इनकी हालत बहुत खराब है। बांग्लादेश की सीमा पर ही करीब 3 लाख रिफ्यूजी शरण लिए हुए हैं।
हाल ही में बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ढाका में म्यांमार के राजदूत मायो मायिंट थान को तलब किया था। उनसे सभी रोहिंग्या मुस्लिम नागरिकों को जल्द स्वदेश वापस बुलाने की मांग की थी। बांग्लादेश ने मायो से कहा कि म्यांमार की हिंसा के चलते बांग्लादेश में करीब 5 लाख लोगों ने शरण ले रखी है। वहीं, म्यांमार के करीब 3 लाख नागरिक तो पिछले तीन-चार सालों से यहां स्थायी ही हो चुके हैं। इसके अलावा रोजाना सैकड़ों की तादात में अवैध तरीके से रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंच रहे हैं।


यूएनएचसीआर के मुताबिक, मुस्लिम बहुत इलाकों में सेना हेलिकॉप्टर से गोलियां और बम बरसा रही है। जिसके चलते हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना 10 साल से ऊपर की उम्र के लड़कों को भी चुन-चुनकर गोली मार रही है। इसी के चलते रोहिंग्या बांग्लादेश की ओर भाग रहे हैं। हालांकि, म्यांमार सरकार ने आर्मी पर लगे आरोपों को सिरे से नकार दिया है।
बांग्लादेश में एंट्री करने के लिए दोनों देशों के बीच की खतरनाक नफ नदी पार करनी होती है। मछुआरे और बिचौलिए भी इनका जमकर फायदा उठा रहे हैं। कुछ पैसों के लालच में छोटी-छोटी नावों में लोगों को ठसाठस भरकर बांग्लादेश की समुद्री सीमा तक ले जाते हैं। इसके चलते नावों के पलटने की घटनाएं आम हो चुकी हैं, जिसमें अब तक सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। विस्थापन का यह सिलसिला अब भी जारी है।
(दैनिक भास्कर से)


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