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जो ऋतिक है वही शाहरुख़ भी है, दोनों पैसे पर नाचने वाले नचनिया

शाहरुख़ की पिक्चर रईस रिलीज़ हुई,
वहीँ ऋतिक की पिक्चर क़ाबिल रिलीज़ हुयी, होना क्या था वही हुआ की अभिनय और प्रतिभा को भी हिन्दू मुस्लमान करने की कोशिश की गयी, हर तरफ से एक वर्ग ने यह शोर मचाया की पिक्चर शाहरुख़ की देखनी है,दुसरे ग्रुप ने यह शोर मचाया की उसे क़ाबिल देखनी है, एक ने राईस की बुराई की दुसरे ने क़ाबिल की, पिक्चर कोई भी हो नंगापन हर तरह से गुनाह के श्रेणी में आता है, मैं ना तो पिक्चर देखता हूँ ना ही इसका पक्षधर हूँ, जो मेरी निगाह में ऋतिक है वही शाहरुख़ भी है, दोनों पैसे पर नाचने वाले नचनिया,


हाँ स्वघोषित संभ्रांत समुदाय इन्हें अभिनय का प्रदर्शन भी कह सकता है, लेकिन अपना नजरिया स्पष्ट है, अब आइये ऐतराज़ पर कल जब शाहरुख़ आय तो उन्हें देखने के लिए बहुत से लोगों की भीड़ इकठ्ठा हो गयी, भीड़ तो एक मदारी भी इकठ्ठा कर लेता है, भीड़ तो नरेंद मोदी भी इकट्ठा कर लेता है, शाहरुख के पीछे तो पूरा स्टारडम है क्यों ना होती, जहाँ इतनी भीड़ हो वहां असामाजिक तत्वों का होना भी ज़रूरी है, जहाँ असामाजिक तत्व हो वहां कुछ गलत होना भी ज़रूरी है,


हुआ की शायद की किसी की मौत भी उसी भीड़ के कारण हो गयी, जिसको भाजपाई ने निशाने पर ले लिया, भीड़ में अगर कोई इंसान मर गया तो उसके लिए इतना हो हल्ला, 250 लोग लाइन में मरे तो कुछ नहीं, हालाँकि मेरी सहानुभूति दोनों तरफ के मरने वाले लोगो के साथ है, लेकिन ये कौन सी नीति है कि एक मरे तो अन्याय, और 250 मरे तो देशहित, ऐसी ओछी बातों से आप क्या बिगाड़ लेंगे?? कम से कम अभिनय को तो अभिनय रहने दीजिए।
शाहरुख की फिल्म के प्रमोशन के दौरान एक व्यक्ति की मौत के लिये शाहरुख ज़िम्मेदार - भक्त
अरे ओ छोटू ज़रा नोटबंदी के दौरान मरने वाले लोगों की लिस्ट ला तो इधर ।

ये सारी तस्वीरे गुजरात बरोडा की है, जहां कल शाहरुख अपनी फिल्म रईस के लिये आया था,, जहाँ क्रिकेटर इरफ़ान खान, और युसूफ खान भी मौजूद था,,,
फेसबुक यूजर - कमाल हुसैन 




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