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तो इसलिए खुलवाया था राजिव गाँधी ने बाबरी का ताला..............! उबैद हुसैन

फैजाबाद जिल्ला न्यालय के आदेश पर 1986 में मस्जिद का ताला खुलवा दिया गया . यहाँ पर ये बात साफ़ होनी चाहिए के इस समय देश के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी थे. फैसला अदालत का था लेकिन राज्य में भी कांग्रेस की सरकार थी और मुख्मंत्री वीर बहादुर सिंह थे. राज्य सरकार ने अदालत में ये हलफनामा दाएर किया के ताला खुलवाने से राज्य कोई कानून व्यवस्था के बिघड़ने जैसी परिस्थिथि निर्माण नहीं होगी. जिस पर अदालत ने ताला खोलने का आदेश दिया. सवाल तो ये उठता है के कांग्रेस के राज्य में इस फैसले को प्रशासन ने इतनी तत्परता से लागू किया के सिर्फ 40 मिनट के अन्दर दरवाज़ा खुलवा दिया गया. यहाँ तक तो सब ठीक था लेकिन राजीव गांधी सरकार के अंतर्गत आने वाले दूरदर्शन ने इस का लाइव टेलीकास्ट किया जिससे मुसलमानों में कांग्रेस सरकार के प्रति बहोत गुस्सा उमड पड़ा.

असल में राजीव गांधी ने ऐसा इस लिए किया के वो ये नहीं चाहते थे के शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने से जो उनपर मुसलमानों का तुष्टिकरण करने के आरोप लगे वो सही दिखाई दे इस लिए अपने आप को हिन्दू-हितेषी दिख्वाना की खातिर अपनी राजसत्ता को बरकारार रखने उन्होंने इतनी जल्दबाजी की.



राजीव गांधी ने जैसे ही मस्जिद का ताला खुलवाकर उसका दूरदर्शन के माध्यम से सीधा प्रसारण किया, कट्टरवादी हिन्दुत्वादी संगठनों को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया. इलाहबाद में 1989 के फरवरी में कुंभ के मेले के दौरान विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े साधू इकठा हुए और उन्होंने ये एलान किया के आज से 9 महीने बाद याने नवम्बर में वो अयोध्या में निर्माण के लिए शिलान्यास किया जाएगा. गाँव गाँव जाकर विश्वहिंदू परिषद्, संघ और बजरंग दल के कार्यकर्ताओ ने नवम्बर के महीने में होने वाले शिला न्यास के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अपील के साथ समाज के भावनाओ को भड़काने का काम किया. ईंटो पर राम राम लख कर गाँव गाँव जुलुस निकाले और बाबरी मस्जिद को गिराने के नारे दिए गये. देश के गृह मंत्री बूटा सिंघ थे अक्टूबर में 1989 को विश्वहिंदू परिषद् के शीर्ष नेताओ ने उनसे मुलाकात कर शिलान्यास कार्यक्रम में कोई तकलीफ और परेशानी न आये ऐसा आश्वासन माँगा और कांग्रेस सरकार ने विश्वहिंदू परिषद् के सामने घुटने टेक दिए और शिलान्यास कार्यक्रम को अनुमति दे दी. और खुद बूटा सिंघ और उत्तरप्रदेश के तात्कालीन कांग्रेस पार्टी के ही मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के साथ शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल हुए.



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