भारत के मुसलमानों ने जितना मुघलो को साथ दिया उससे कई गुना ज्यादा भारत के बहुजन महापुरुषों को साथ दिया. क्यूंकि भारत के सभी बहुजन महापुरुष समता चाहते थे, स्वतंत्रता चाहते थे, बंधुता चाहते थे, और इन्साफ चाहते थे. और इस्लाम भी यही चाहता है. मुसलमानों ने भारत देश के लिए कई कुरबानिया दि, छत्रपति शिवाजी महाराज से लेकर डॉ. बाबासाहब आंबेडकर तक सभी महापुरुषों के साथ मुसलमान अपनी इमानदारी से रहे. लेकिन वही मुसलमानों को आज यहूदी जाने क्या-क्या कह रहे है और मुसलमानों के साथ कैसे-कैसे सलूक कर रहे है यह सब देख रहे है. लेकिन उंगलियों पर गिनने जितने लोग अगर छोड़ दिए जाए तो मुसलमानों के साथ आज कोई नहीं.
आईये देखते है कुछ खास बाते
(1) महात्मा ज्योतिबा फूले को अपना स्कूल बनाने के लिये जमीन उस्मान शेख नाम के एक मुसलमान ने दी थी ।
(2) उस्मान शेख की बहन फातिमा शेख ने सावित्री बाई फूले का साथ देकर उनके स्कूल में पढा़ने का काम किया था ।
(3) बाबासाहेब आंबेडकर ने जब चावदार तालाब का आंदोलन चलाया और सभा भरने के लिये बाबासाहेब को कोई हिन्दु जगह नहीं दे रहा था ।
तब मुसलमान भाइयों ने आगे आकर अपनी जगह दी थी और बाबासाहेब से कहा था कि "आप हमारी जगह मे अपनी सभा भर सकते हो"
(4) गोलमेज परिषद मे जब गांधी जी ने बाबासाहेब का विरोध किया था और रात के बारह बजे गांधी जी ने मुसलमानों को बुलाकर कहा था कि आप बाबासाहेब का विरोध करो तो मैं आपकी सभी मांगे पूरी करुंगा ।
तब मुसलमान भाई आगार खांन साहब ने गांधी जी को मना कर दिया था और कहा था कि हम बाबासाहेब का विरोध किसी भी हाल मे नहीं करेंगे ।
(5) मौलाना हसरत मोहानी ने बाबा साहब को रमजा़न के पवित्र माह में अपने घर रोजा़ इफ्तार की दावत दी थी ।
जबकि मदनमोहन मालवीय ने तो बाबा साहब को एक गिलास पानी तक नहीं दिया था ।
(6) जब सारे हिन्दुओं (गांधी और नेहरू) ने मिलकर बाबासाहेब के लिये संविधान सभा के सारे दरवाजे और खिड़किया भी बंध कर दी थीं ।
तब पश्छिम बंगाल के मुसलमानों व चांडालों ने बाबासाहेब को वोट देकर चुनाव जिताकर संविधान सभा मे भेजा था ।
(6) छत्रपति शिवाजी महाराज को अफजलखाँ के बारे में मुसलमानों ने आगाह किया था, बिछुए मुसलमान ने दिए थे यहांतक की मुसलमानों को राजा बनने से वर्णव्यवस्था के समर्थको ने रोका लेकिन मुसलमानों ने उन्हें पहले ही राजा मान लिया था.
(6) छत्रपति शिवाजी महाराज को अफजलखाँ के बारे में मुसलमानों ने आगाह किया था, बिछुए मुसलमान ने दिए थे यहांतक की मुसलमानों को राजा बनने से वर्णव्यवस्था के समर्थको ने रोका लेकिन मुसलमानों ने उन्हें पहले ही राजा मान लिया था.
इसीलिए SC, ST और OBC समाज के लोगों को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि मुस्लिम नेताओं ने बाबा साहेब आंबेडकर का अक्सर साथ दिया था ।
जबकि गांधी और तिलक हमेशा ही बाबा साहेब आंबेडकर के रास्ते में मुश्किलें पैदा करते रहे ।
*सत्ता के दरवाजे की चाबी SC/ST/OBC/Muslims गठबंधन व भाईचारे के मिश्रण से बनेगी !*