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राष्ट्रगान और आज की जनता -हुमा नक्वी

भारत में चल रहे विभिन्न समस्या एवं विभिन्न मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया पर अक्सर बहस छिड़ी रहती है. सोशल मीडिया के दिग्गज अपनी अपनी राय रखते है तो कुछ भक्त भक्ति के चलते उनका कदा विरोध भी करते है यह जानते हुए भी के, जो लोग कह रहे है वह सच है. नोटबंदी का मामला थमा नहीं की, संसद से भागने का मामला शुरू हुआ, यह मामला ख़त्म हुआ नहीं की, फ़क़ीर वाला मामला खडा हुआ. फिलहाल सोशल मीडिया पर राष्ट्रगीत पर खूब चर्चा हो रही है. आईये देखते है फेसबुक यूजर हुमा नक्वी ने अपने विचार किस अंदाज में रखे है.....

सिनेमाघर में राष्ट्रगान के चलते यह कतई जरूरी नहीं कि जो राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद का राग अलाप रहे हैं, वे असल में भी राष्ट्रभक्त ही हों। इसीतरह, यह भी नहीं कहा जा सकता कि सिनेमाघरों में जाकर राष्ट्रगान पर खड़े होने से लोग राष्ट्रभक्त हो जाएंगे। इसका उलटा असर भी हो सकता है और लोग राष्ट्रगान के प्रति चिढ़ से भी भर सकते हैं। राष्ट्रगान के लिए लोगों में इज्जत को लेकर एक कहानी है। जापान में एक बार एक चोर के पीछे पुलिस का सिपाही दौड़ रहा था। चोर अचानक एक स्कूल के अहाते के पास पहुंचा जहां राष्ट्रगान चल रहा था। चोर राष्ट्रगान सुनते ही रुक गया। 


लेकिन पीछे से दौड़कर आते हुए सिपाही ने भी जब राष्ट्रगान सुना तो वह भी रुक गया। चोर और सिपाही, दोनों के दिलों में राष्ट्रगान के लिए ऐसी इज्जत थी। आदर्श स्थिति तो यही है कि भारतीय नागरिकों में भी राष्ट्रगान के लिए ऐसी ही इज्जत होनी चाहिए। पर इसके लिए हमें नागरिकों के प्रति उदार होना होगा। जैसे घरों में बच्चों पर जबरन प्रतिबंध थोपने से वे और अनुशासनहीन हो जाते हैं, वैसे ही अगर हम राष्ट्रगान को लेकर नागरिकों पर ऐसे प्रतिबंध थोपेंगे, तो उनका पालन करते हुए भी उनके दिलों में उसके प्रति जापानी चोर-सिपाही जैसा आदर नहीं पैदा हो पाएगा। (हुमा नक्वी की फेसबुक वाल से साभार)
~संकलित


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