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काले धन के खिलाफ जंग का ऐलान करके नोटबंदी करने वाले नरेंद्र मोदी के बहराइच में रैली न करने जाने के पीछे असली कारण विरोध का डर और रैली में कम भीड़ रहा। भाजपा अब मौसम खराब होेने का कारण बता रही है, लेकिन बहराइच के लोग बता रहे हैं कि मौसम काफी ठीक था। मोदी के पहुंचने से पहले ही बहराइच में मोदी गो बैक के नारे लगने लगे थे।

दरअसल मोदी की रैली में भाजपाई भीड़ जुटाने में नाकाम रहे जिसका एक बड़ा कारण यह रहा कि लोगों को नोट बदलवाने और नए नोट लेने के लिए बैंक और एटीएम की लाइनों से ही फुरसत नहीं मिल रही थी। 

गूगल पर उपलब्ध बहराइच के मौसम की जानकारी के अनुसार ना तो वहां कोहरा था और ना ही बादल, बल्कि धूप खिली हुई थी और दोपहर में तापमान 24 डिग्री था। उनका उड़नखटोला बहराइच के आसमान पर करीब 30 मिनट तक डोलता रहा। 
दूसरा बड़ा कारण यह रहा कि नोटबंदी से पैदा वही आक्रोश बहराइच में भी दिखने वाला था जो राजनाथ की रैली में फतेहपुर में दिखा था। भीड़ कम होने के कारण स्थानीय भाजपा नेताओं के हाथ-पैर फूल गए थे, और वो किसी भी तरह से एक सम्मानजनक संख्या जुटाने में लग गए।


इसी का फायदा उठाकर कई सपाई और बसपाई भी झुंड बनाकर घुस गए। रैली में जगह बनाने के बाद इन लोगों ने विरोध-प्रदर्शन की तैयारी कर ली थी, लेकिन भीड़ में मौजूद खुफिया पुलिस को इस बात का पता लग गया। फौरन इसकी सूचना प्रधानमंत्री की सुरक्षा देख रहे अफसरों को दी गई और फिर आनन-फानन में फैसला लिया गया कि राजनाथ सिंह की तरह फजीहत कराने से बेहतर है कि मोदी का हैलीकॉप्टर बहराइच में उतारा ही न जाए और मौसम खराब होने का बहाना कर दिया जाए। स्थानीय स्तर पर भाजपा की इससे भी फजीहत होनी थी, इसलिए ये रास्ता निकाला गया कि मोदी मोबाइल फोन से ही भाषण दे दें।

इसके पहले आईबी और खुफिया एजेंसियों ने भी मोदी की बहराइच रैली के लिए एलर्ट जारी किया था। नेपाल सीमा से सटे बहराइच में रैली स्थल से आठ किलोमीटर की एरिया को पूरी तरह से सील कर दिया गया था। सेना के प्रशिक्षित कमांडो और बम डिस्पोजल सक्वायड आठ किलोमीटर के दायरे में तैनात किए गए थे। सुरक्षा के इतने कड़े इंतजाम के कारण भी स्थानीय लोग रैली में आने से बचे।
रैली में पाँच लाख लोगों के आने का दावा किया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों की रिपोर्ट के मुताबिक मुश्किल से 5 से 10 हजार लोग ही मोदी को सुनने पहुंचे थे।


मौसम खराब होने के कारण मोदी के न पहुँचने की बात में इसलिए भी दम नहीं है क्योंकि मौसम कुछ खराब तो था लेकिन इस आशंका के चलते सड़क मार्ग से भी मोदी को लाने की पूरी तैयारी पहले से करके रखी गई थी। इससे थोड़ा समय तो ज्यादा ज़रूर लगता लेकिन मोदी की रैली जरूर हो जाती।

दरअसल बहराइच में मोदी के विरोध के संकेत पहले से ही मिलने लगे थे। छावनी चौराहे पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी का पुतला जलाने का प्रयास किया था, और इस बात को लेकर पुलिस से उनकी झड़प भी हुई थी। कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया था। समाजवादी छात्र सभा, लोहिया वाहिनी और मुलायम सिंह यूथब्रिगेड ने काली पट्टी बाँधकर प्रदर्शन भी किया था। प्रदर्शनकारियों ने मोदी गौ बैक के नारे भी लगाए और पोस्टर लहराए थे।


हालाँकि, इस तरह के प्रदर्शनों से प्रधानमंत्री की रैली तो बाधित नहीं हो सकती थी, क्योंकि सुरक्षा इंतजाम बहुत कड़े थे, लेकिन भाजपा नहीं चाहती थी कि इस तरह के विरोध-प्रदर्शनों की खबर बने। गृहमंत्री राजनाथ सिंह की फतेहपुर रैली में मोदी मुर्दाबाद के नारे लगने से हो चुकी फजीहत को भाजपा फिर से दोहराना नहीं चाहती थी। ऐसे में शीर्ष स्तर पर तय किया गया कि मोदी की रैली न ही कराई जाए और मोबाइल से ही उनका भाषण करा दिया जाए।

प्रधानमंत्री की रैली फ्लॉप होने के लिए भाजपा ने प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार को दोषी बताना भी शुरू कर दिया है।  दैनिक ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने कहा भी है कि प्रधानमंत्री का हेलीकॉप्टर बहराइच में न उतर पाने की जाँच कराई जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी समाजवादी पार्टी के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं और भाजपा की रैलियों में सहयोग नहीं कर रहे हैं। (न्यूज़लाइव24 से साभार)


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