उना के चार अनुसूचित जाती के युवको की पिटाई पर सारे देश में कोहराम मचा हुआ था. इस घटना ने कई आन्दोलन करवाए मामला सिर्फ पिटाई का था. कई बार अनुसूचित जातियों पर कहर बरपाया गया कईयों के क़त्ल भी किये गए लेकिन उस वक्त भी इतना बवाल नहीं हुआ जितना उना के चार दलितों की पिटाई पर किया गया. वही पीड़ित अब बीजेपी के प्रचार में उतरने की खबर है. तब सवाल यह उठता है की, कही यह सोची समझी साजिश तो नहीं थी ? अगर ऐसा है तो फिर भरोसा किसपर किया जाए ? किन लोगो के इन्साफ की लड़ाई लादे ? ऐसे कई सवाल पैदा होते है. उना की घटना पर आन्दोलन के नेता जिग्नेश मेवानी ने इस बात पर कडा अफ़सोस जताया है तो दूसरी तरफ वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने इसको संघ और बीजेपी की साजिश बताया है. कई लोगो में चर्चा का विषय यह भी दिखाई दे रहा है की, जो लोग गुजरात में आन्दोलन कर रहे थे वह दलितों को इन्साफ दिलाने की आड़ में बीजेपी के लिए गुजरात की जमीन तैयार कर रहे थे.
नेशनल दस्तक में प्रकाशित खबर के अनुसार, यूपी और पंजाब चुनावों को लेकर बीजेपी अपनी छवि सुधारने की लगातार कोशिशें कर रही है। इस कड़ी में त्योहारों से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक तक का राजनीतिकरण करने के आरोप बीजेपी पर लग रहे हैं। विकास, राष्ट्रवाद और दलित-मुस्लिम विरोधी होने के आरोप झेल रही बीजेपी ने अब उना मामले के पीड़ितों के सहारे अपनी नैया पार लगाने की कोशिश की है।
आरएसएस से संबंद्ध भारतीय बौद्ध संघ और बीजेपी मिलकर दलितों से जुड़ने के लिए रथयात्रा निकालने वाले हैं। इसमें ऊना पीड़ित उनका साथ निभाएंगे। यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं जिसके मद्देनजर बीजेपी दलित वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही है।
बुधवार को दिल्ली स्थित गुजरात भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बीजेपी सांसद सत्यनारायण और भारतीय बौद्ध के अध्यक्ष भांते संघप्रिय राहुल के साथ ऊना दलित नजर आए। इनमें से एक दलित युवा का प्रतिनिधित्व उसके पिता बालूभाई ने किया। गुजरात के ऊना में गोरक्षक दल के हमले का शिकार हुए दलित युवक यूपी और देश भर के बाकी हिस्सों में अब बीजेपी की रथयात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे।
इस रथयात्रा का समापन अगले 26 मई को जूनागढ़ में होगा और पांच राज्यों की यात्रा करते हुए गुजरात में यह बाबासाहब आंबेडकर की जयन्ती पर अगले साल 14 अप्रैल को प्रवेश करेगी। ऊना में दलितों पर हुए हमले के मुद्दे पर देश भर में खूब विरोध-प्रदर्शन हुए थे। हालांकि बीजेपी ने कई बार इस मुद्दे को दबाने की कोशिश की थी लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई।