नोबेल पुरस्कार सम्मानित भी उफ्फ तक नहीं कर रहे
म्यानमार में रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति पिछले कुछ दशको से काफी खराब चल रही है, जिसके कारण हजारो लोग देश छोड़कर चले गए और जो बाख गए उनकी स्थिति उससे भी भयानक है. देश के अन्दर भी लोग शिविरों में रहने को मजबूर है, जो उनके जीवन का एक डरावना हिस्सा है.
आराकान के राष्ट्रवादी बौद्धों द्वारा उनके नगर राखिने में कत्लेआम और अत्याचार किये जा रहे है और रिपोर्ट के अनुसार राखिने में वर्ष 2012 और 2013 से पहले कभी हालात इतने खराब नहीं थे. लेकिन बौद्ध कट्टरपंथीयो द्वारा मुसलमानों पर अत्याचार की बढती घटनाओं ने सब कुछ बदलकर रख दिया. पुलिस प्रशासन का रवय्या इतना पक्षपाती रहा.
09 अक्तूबर को बांग्लादेश बोर्डर के पास कई सीमा सुरक्षाबल घायल हो गए और साथ ही 9 पुलिस अधिकारियों की मौत हो गयी. अभी इस हमले को लेकर कुछ पता नहीं चला है की यह हमला किसने किया है.
लेकिन बिना सबूत के मुसलमानों को दोषी टहराया जा रहा है, रोहिंग्या के खिलाफ पुलिस और सेना ने सबूत बनाना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं इसके बाद 24 निर्दोष मुसलमानों की सोमवार को ह्त्या भी कर दी गयी.
रोहिंग्या मुसलमानों को किसी भी प्रकार की न्यायिक मदत स्थानीय राज्य एजेंसियों द्वारा नहीं मिल पा रही है. यहाँ तक की शान्ति को निबल पुरस्कार विजेता आग सां सूचि की संघीय सरकार ने भी इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
वर्ल्ड न्यूज अरबिया से साभार
वर्ल्ड न्यूज अरबिया से साभार