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मूलनिवासी भारतीय बहुजनो की आजादी का आंदोलन

अभय लीगल कंसल्टंसी सर्व्हिसेस ने दि. 04 सितम्बर को एक बुकलेट द्वारा रिपोर्ट जारी की है. जिसमे उन्होंने यह खुलासा किया है की, भुट्टे चोरो की वजह से कई बड़े संगठनो संस्थाओं का किस तरह से नुक्सान होता है. आपको बता दे की, अभय जगताप द्वारा चलाई जाने वाली अभय लीगल कंसल्टंसी सर्व्हिसेस ने मंत्रालय जालित काण्ड से लेकर किनवट के किशोर की हात्या ऐसे कई मामलो में रिपोर्ट तैयार कर सनसनीखेज खुलासे किये है. हाल ही में उनकी जारी रिपोर्ट हमारे पाठको के लिए ज्यों की त्यों निचे दे रहे है. (रिपोर्ट में पुर्णतः अलिकस के विचार है) .......



मूलनिवासी भारतीय बहुजनो की आजादी का आंदोलन
भुरटे (छोटे) चोरो की वैचारिक सीमाए और आंदोलन का क्षेत्र इसमें जमीन-आसमान का अंतर होता है वर्चस्ववादी (ब्राह्मणवादी) मानसिकता ने बामसेफ कार्यकर्ताओ के परिवारजनों की हत्याए करवायी है l यह हत्याए करवानेवाले विदेशी यूरेशियन (ब्राह्मण) इन हत्याओ की कींमत समझते है l इसलिए उन्हें बड़े चोर कहा जाता है l इन हत्याओ के षडयंत्रो में माध्यम बननेवाले भुरटे (छोटे) चोरो को हत्याओ (बलिदान) की कींमत समझ में नहीं आती l आंदोलन के क्षेत्र को भापकर बड़े चोर (विदेशी यूरेशियन/ब्राह्मण) जहाँ हत्याए करते/करवाते है, वही भुरटे (छोटे) चोरो की वैचारिक सीमाओ के कारण वह अनजाने में इन हत्याओ के षडयंत्र में शामिल होते है l भुरटे (छोटे) चोर यह चोरो में की प्रजाति है जो बड़ी चोरी न कर सकती, और न ही वैचारिक सीमाओ के कारण उसके बारे में सोच सकती l भुरटे यह मराठी भाषा का शब्द है जिसे (चप्पल, जूते, पॉकेट जैसी) छोटी चोरी के संबंध में इस्तेमाल किया जाता है l बौद्धिक/वैचारिक योग्यता/ईमानदारी के अभाव में भुरटे (छोटे) चोरी की नौबत आयी वर्चस्ववादी मानसिकता के कार्यकर्ताओ ने बामसेफ के हैद्राबाद राष्ट्रीय अधिवेशन में षडयंत्रकारी गुंडागर्दी की घटना को अंजाम दिया था l


जिन कार्यकर्ताओ ने अपने संसाधन बामसेफ/आंदोलन को देने के कारण परिणामस्वरूप उनके परिवारजनों का बलिदान करना पड़ा है, उन कार्यकर्ताओ को भुरटे (छोटे) चोरो ने हैद्राबाद राष्ट्रीय अधिवेशन के registration की fee वापिस करने का proposal रखा था l Registration की fee वापिस करने का proposal रखनेवाले भुरटे (छोटे) चोरो ने बलिदान/संसाधन वापिस करने का proposal नहीं रखा, क्यूंकि भुरटे (छोटे) चोरो की वैचारिक सीमाए होती है l आंदोलन के क्षेत्र को भापकर जहाँ शासक वर्ग/बड़े चोर (विदेशी यूरेशियन/ब्राह्मण) बलि लेता है, वही भुरटे (छोटे) चोर वैचारिक सीमाओ के कारण इसके बारे में सोच भी नहीं सकते l वैचारिक सीमाओ में संगठन के अंदर बड़े होनेवाले ऐसे भुरटे (छोटे) चोर ही विगठ न/विभाजन परिणामस्वरूप आंदोलन को ख़त्म करने का कारण बनते है l भुरटे (छोटे) चोरो की वैचारिक सीमाए और आंदोलन का क्षेत्र इसमें जमीन-आसमान का अंतर होता है l यही कारण है कि, आंदोलन के क्षेत्र को भापकर विदेशी यूरेशियनो (ब्राह्मणों) ने करवाये महाराष्ट्र के मंत्रालय जलीत कांड पर भुरटे (छोटे) चोर वैचारिक सीमाओ के कारण मौन धारण किये हुए है l 
-अभय लीगल कन्सलटंसी सर्व्हीसेस
०४ सितंबर २०१६


(उपरोक्त रिपोर्ट अभय लीगल कन्सलटंसी सर्व्हीसेस द्वारा जारी की गयी है. इस रिपोर्ट का सोशल डायरी की सहमति या असहमति हो यह जरुरी नहीं.)

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