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नेताओं से मुस्लिमो का भरोसा ख़त्म, धार्मिक इमोशनल करने वाले लोग मैदान में




नेताओं से मुस्लिमो का भरोसा ख़त्म, धार्मिक इमोशनल करने वाले लोग मैदान में
सम्पादन विभाग
दिल्ली में रामलीला मैदान पर गैरमुस्लिम मजलूमों के लिए लाखो लोगो को इकट्ठा कर रेलिया कर दाढ़ी टोपी वाले (मौलानाओ) ने सराहनीय कार्य किया और स्टेज से रुबाबदार अंदाज में कई कार्यक्रमों में यह भी साफ़ किया की मुस्लिम लीडरलेस है और इन्हें निस्वार्थ लीडर की आवश्यकता है. इसके साथ ही उनसे जुड़ने की अपील भी कई कार्यक्रमों में की, यह अपील सुनकर हजारो लोग उनसे जुड़े भी (दाढ़ी टोपी देखकर धोका खा गए) आज वाही हजारो मुसलमान लाखो लोगो को इकट्ठा कर कोई रैली की उम्मीद तो नहीं लेकिन एक स्टेटमेंट के इन्तेजार में थे लेकिन ऐसा कोई कार्य मुस्लिमो पर हो रहे जुल्म के खिलाफ किया हुआ नजर नही आरहा है. लोगो में कुछ अलग माहौल था लेकिन आज लोगो में यह चर्चा हो रही है की एससी, एसटी, ओबीसी से वाहवाही लूटने और यूपी के चुनाव में जमीन तैयार करने के लिए ऐसे कार्यक्रेअमो को अंजाम दिया गया था. मुस्लिम समाज में ऐसी भी चर्चाये जोर पकड़ रही है की मुसलमानों को गुमराह कर 70 वर्षो से कई लोगो ने ठगा और अब अपने कम छोड़कर दाढ़ी टोपी वाले (मौलाना) लोगो को ठगने का प्रोग्राम बनाकर दे रहे है. क्यूंकि आजतक ठगों में मौलानाओ का हाथ नहीं था. अब यह कमी भी पूरी होती नजर आरही है.





गौरतलब है की हर कोई संगठन हो या राजनीतिक पार्टी फिर चाहे वह आरएसएस ही क्यों ना हो मुसलमानों के बगैर वह कुछ नहीं कर सकते उनको अच्छी तरह जानकारी है. इसीलिए नए नए फंडे बनाकर म्सल्माओ को गुमराह करने की होड़ लगी है. आरएसएस में भी ऐसे कई दाढ़ी टोपी वाले (मौलाना) नजर आते है वह उनका अपना मकसद लिए हुए है. वह मुसलमानों के समस्याओं पर कभी कुछ नहीं करते. बस वैसे ही कई संगठनो और राजनीतिक पार्टियों में भी ऐसे लोग भरपूर पाए जाते है. इसके कई सबूत देखने को मिलते है. जैसे उना में अनुसूचित जाती के चार युवको की पिटाई के तुरंत चार दिन बाद गोरक्षाको द्वारा मध्य प्रदेश में चार मुस्लिम महिलाओं की पिटाई होती है तब यह फर्जी मौलान खामोश रहते है. उसके बाद छोटी बड़ी कई घटनाए होती है उसमे भी यह लोग खामोश दिखाई देते है. फिर उसके बाद अहमदनगर जिला के कोपर्डी गाँव में मराठा जाती के एक मासूम पर बलात्कार होता है फिर उसकी हात्या कर दी जाती है इसपर भी वह लोग खामोश रहते है. उसके बाद इस हफ्ते की बड़ी वारदातों पर भी उनका मौन यह बताता है की वह मुसलमानों को गुमराह कर रहे है. आज जब सारा देश बिजनौर हात्याकांड पर हाहाकार मचा रहा है. और संघियों द्वारा इस मामले को दबाने की कोशिस की जा रही है इसपर भी वह स्वघोषित मुस्लिम हितैषी दाढ़ी टोपी वाले लीडर मौन साधे हुए है. जबकि इसी हफ्ते गुजरात में एक मुस्लिम युवक की हात्या भी हुई है. इसपर भी यह लोग मौन साधे हुए है. इस पुरे मामले का निष्कर्ष यही निकलता है की मुस्लिमो के दुश्मनों को यह पता चल गया है की मुसलमान अब नेताओं के बहकावे में नहीं आयेंगे इसीलिए कुछ गिने चुने लोगो ने मौलानाओ को मैदान में उतारा है महज इसलिए मुसलमानों को धार्मिक इमोशनल करके गुमराह करना आसान हो जाए. इस तरह की चर्चाये आम मुसलमानों में हो रही है और यह सवाल उठाया जा रहा है की, बिजनौर में मुस्लिम युवती से छेड़छाड़ कर उनके परिजनों के 5 अफराद को गोलियों से भून देना और 15 परिजनों का घायल होना इस घटना पर उनकी चुप्पी का क्या मतलब हो सकता है? आरएसएस प्रणित मुस्लिम संघ भी चुप्पी साधे हुए है इसपर किसीका कोई सवाल नहीं क्यूंकि वजह सब जानते है तो क्या फिर आरएसएस की आलोचना करने वाले मुस्लिम मौलाना खामोश क्यों है ?




-अहेमद कुरेशी-

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