यह बात शतप्रतिशत सही है की, लोग उसको ही बुरा-भला कहते है जो इंसान अच्छी किरदार का हो. हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम हो या युनुस अलैहिस्सलाम हो, कै नबियो को भी लोगो ने बुरा भला कहा. और खातिमुननबी मुहम्मद मुस्तफा सलल्लाहूअलैहि व् सल्लम को तो इस धरती पर सबसे ज्यादा विरोध हुआ. और आजतक जारी है. लेकिन यह बात भी पत्थर की लकीर है की, बुरा कहने वाले लोगो से अच्छे किरदार वालो की शान में जर्रा बराबर भी फर्क नहीं हुआ. " वतु इज्जू मंतशा, वतु जिल्लू मंतशा" दो कौड़ी के आलोचकों से कोई फर्क नहीं पडेगा इज्जत और जिल्लत अलाह के हाथ में है. जब नबियो, सहाबाओ, वालियों को लोग बुरा भला कहने से बाज नहीं आये तो मौलाना तारिक जमील तो साहाबाओ, औलियाओ के सामने एक छोटेसे उलेमा है. जो नबी के फॉलोवर है. फिर यह कैसे बच सकेंगे. इस दौर में एक चलन आम हुआ है. अल्लाह की वही तो पैगंबर-ए-इस्लाम पर नाजिल हो चुकी. अब अल्लाह की वही नाजिल नहीं हो सकती लेकिन कुछ लोगो के घरो में दज्जाल की वही डायरेक्ट नाजिल हो रही है और अब वही लोग फैसला भी कर रहे है की, कौन मुसलमान है और कौन काफिर. हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी हजरत उम्र फारुक राजीअल्लाहू अनाहू को काफिर नहीं कहा था हालांकि उम्र उनके क़त्ल के इरादे से पहुँच चुके थे.....! और कुछ लोग एक दिन में हजारो लोगो को काफिर बना रहे है. और कुरआन कहता है मुसलमान बनाओ. इसका मतलब सीधा यही हुआ के कुरआन के खिलाफ काम करने का मतलब दज्जाल का पैगाम पहुंचाना. और कुछ दज्जाल के मेसेंजर लोगो को काफिर बनाते घूम रहे है.दिया तले अंधेरा-------
-संपादक
मौलाना तारिक़ जमील एक ऐसी सख्सियत हैं जिनकी जितनी तारीफ की जाये कम है । मैंने आज तक उनकी एक भी तक़रीर में कोई एक ऐसी बात नहीं सुनी जिससे किसी भी तरहा के लोगो को कोई परेसानी हो। वो हमेशा लोगो को जोड़ने का काम करते है नाकि तोड़ने का वो सिर्फ अपनी बात कहते है किसी की बदगोई नहीं करते । वो बहुत ही अच्छे इन्शान है लेकिन कुछ लोग उनको भी नहीं छोड़ते बाज़ आये ऐसे लोग वो वही लोग है जिन्हें में कह सकती हूँ बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में दिया तले अँधेरा । वो लोग दिया तो है लेकिन अँधेरा उनका मुस्तक़बिल बनता जा रहा है । कास उन लोगो में से भी एक तारिक़ जमील पैदा हो जाये तो हमारे मिलकर रहने का ठिकाना हो जाये और हम सिर्फ ओ सिर्फ मुस्लमान बनकर रहे और कहें हाँ हम सिर्फ मुस्लमान है । बरेलवी वहाबी सुन्नी देवबंदी नहीं ।
आपकी बहन । आपकी बेटी ।
-निकहत गुल