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'भिखारी' वर्ग के लोगों में हर चौथा शख्स है मुस्लिम

हाल ही में सोशल डायरी के सम्पादन वभाग ने सर्वे द्वारा सनसनीखेज खुलासा रमजान के पवित्र महीने में किया था की, हर सातवा मुसलमान भूखा सोने को मजबूर है. और रईसों से अपील की गयी थी की, फितरा और जकात ऐसे लोगो को ही दिया जाए जो इसके हकदार है. इस्लाम में ऐसा वक्त कभी किसी मुसलमान पर ना आये इसीलिए मालदारों पर जकात को फर्ज करार दिया गया है. जो लोग जकात नहीं निकालते उनपर उनका माल हराम करार दिया है. इतना होने के बावजूद अगर हर सातवा मुसलमान भूखा सो रहा है.

और हर चौथा मुसलमान भिक मांगने को मजबूर है इसका मतलब जकात देने वालो की बे-इमानी या फिर जकात का सही जगह पर इस्तेमाल नहीं होना यही हो सकता है. मालदार लोग जकात बराबर निकालते है. क्यूंकि मुसलमान कभी हराम का माल नहीं खाता. और मालदार लोग फ़िक्र से जकात की अदायगी भी करते है. लेकिन इसमें दूसरी वजह ही हो सकती है जो जकात का माल सही जगह पर नहीं पहुँच रहा हो. दुनिया में ऐसे लोगो की तादाद बहुत ज्यादा है जो लोग खुद्दार है. अपनी खुद्दारी की वजह से वह लोग अपनी परेशानियों को किसी के सामने भी शेयर नहीं करते. चाहे उनपर कितना भी बुरा वक्त गुजर रहा हो.

आईये देखते है अमर उजाला की रिपोर्ट
देश की कुल जनसंख्या में 14.23 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है। भारत सरकार की तरफ से देश के भिखारियों की जिस संख्या (3.7 लाख लोग) की घोषणा की गई है, उसमें 25 प्रतिशत आबादी सिर्फ मुस्लिमों की है। इस तरह से देश में हर चौथा भिखारी मुस्लिम समुदाय से है।

ये आंकड़े 2011 की जनगणना के आधार पर सामने आए हैं। सरकार की तरफ से जारी की गई लिस्ट के अनुसार कोई काम न करने वाले कुल लोगों में से 3.7 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्हें भारत सरकार ने 'भिखारियों' की लिस्ट में रखा है।

इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक 'भिखारी' की श्रेणी में अधिकतर वह लोग आते हैं, जिन्हें या तो सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है या फिर सामान्य रूप से प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।

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