ये है हमारा रियल भारत।
जहा हमारे सिख भाई मुस्लिम भाइयो को रोज़ इफ्तार करातेे हुए।
और कुछ लोग दंगा कराकर भाई भाई फुट डालते है।
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यहाँ के आपसी सौहार्द पर हम सभी रायबरेली वासियों को हमेशा से फख्र का इहसास रहा है,
इसी का एक उदाहरण आज उस वक़्त देखने को मिला जब मैं ठीक इफ़तार के वक़त ट्रेन से उतर कर
पास की मसजिद जाने के लिये रिक्शे की तलाश में था तभी अजा़न होने लगी यकायक एक व्यक्ति मेरी ओर पानी की बोतल और केले लेकर बढा और कहने लगा लिजिये खान साहब रोजा़ खोलिये.।।।।।।।
मैं आशचृयचकित उस भले मानस का मुंह तकने लगा,फिर सोचा कि शायद यह भी रोजे़ से है,
मैने कहा आप भी रोजा़ खोलिये,तो वो कहने लगा नहीं सर" मैं हिंदू हूँ,"आप को इफ़्तार के वक़्त खा़ली हाथ देखकर पेशकश करने पर मजबूर हो गया.
फिर बात चल पड़ी तो वो रायबरेली के ही एक
इंजीनियर "विवेक सिंह" निकले!
मैं बस उनसे बस यही कह सका जब तक आप जैसे लोग हैं
मेरे भारत को कोई नफ़रत की आग में नहीं झोंक सकता!
ताकि मेरा देश सामप्रदायिकता की आग में जलने से बच जाये.
अब ज़रूरत यह है कि हमारे देश की सदियों पुरानी रीति को हम सब "हिंदू मुस्लिम"एक होकर
मिलकर बचायें.