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वैश्विक स्तर पर पाखंड का खेल खेलने निकले धूर्त-पाखंडी

21 जून को विश्व योग दिवस के रूप मे मनाने का तय किया गया है.., अच्छी बात है..! हर भारतीय को इस बात पर गर्व भी होगा। लेकिन इससे वास्तविक परिस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

युनिसेफ़ द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुछ राज्यों की वास्तविक परिस्थिति अफ्रीका के अति कंगाल राज्यों से भी बदतर है। विश्व आरोग्य संस्था (WHO) द्वारा किए गए सर्वेक्षण मे पाया गया की भारत मे हर पांच मिनट मे, जी हाँ..., हर पांच मिनट मे कुपोषण के कारण एक बच्चे की मौत हो रही है.., तीन साल के अंदर के 38% बच्चों का विकास पोषण के अभाव में उनकी उम्र के हिसाब से नहीं हुआ, 46% बच्चों का वजन और ऊंचाई औसत से भी कम है।
WHO द्वारा तैयार किए गए 81 विकासशील देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स मे भारत का रेंक पड़ोसी मुल्कों की तुलना मे काफ़ी कंगाल है। भुखमरी को काबू करने मे नाकाम रहने वाले सिर्फ तीन राष्ट्रों की सूची मे भारत का नाम है, जबकि पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश जैसे पड़ोसी मुल्क और नाइजीरिया, युगांडा, वियतनाम समेत 78 देश इस सूची मे अपना स्थान सुधारने मे कामयाब रहे है।
हररोज बीस करोड़ भारतीय पेट मे अन्न का एक भी निवाला डाले बिना भूखे सो जाते है, वहीं वैश्विक स्तर पर पाखंड का खेल खेलने निकले धूर्त-पाखंडी कब समजेगे कि, भारतीयों को इस व्यक्त योग की नहीं बल्कि भोग की जरूरत है...योग दिवस पर प्रत्येक ग्राम पंचायत पर ५ हजार का फंड दिया गया प्रत्येक जिले में अनुमानित ५०० पंचायत यानी २५ लाख रुपए प्रत्येक जिले में दिए गए | 
-सुरेश वाघेला

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