सोशल डायरी ब्यूरो
हाल ही में बीएसपी से बाहर हुए कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने घोषणा की, वह बहुजन मुक्ति पार्टी में अपने हजारो समर्थको के साथ प्रवेश करेंगे. बहुजन मुक्ति पार्टी में शामिल होने का कारण यह बताया जा रहा है की, बहुजन मुक्ति पार्टी राजनीति ना होकर एक जनांदोलन है. और मान्यवर कांशीराम जी का महापुरुषों वाला मिशन वही आगे बढ़ा रहे है. और बीएसपी से इससे पहले बाहर निकले हुए दद्दू प्रसाद रत्तू जो के कैबिनेट मंत्री थे उन्होंने भी बहुजन मुक्ति पार्टी का दामन सम्भाला और मौर्य को बीएमपी में लाने के लिए दद्दू प्रसाद की मेहनत सफल रही. मौर्य की घोषणा की पुष्टि भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी विलास खरात इन्होने सोशल मीडिया पर की है. फिलहाल उत्तर प्रदेश में भूचाल आया हुआ है.
जबसे मौर्य ने बीएसपी का दामन छोड़ा कई विभिन्न चर्चाये हो रही थी. कभी बीजेपी में जाने की बात तो कभी खुदकी पार्टी कड़ी करने की बात चर्चा का विषय बनी हुई थी. अब इस चर्चा को विराम लग गया है. प्रो. विलास खरात ने बताया की यह आंधी सिर्फ उत्तर भारत नहीं पुरे भारत में होंगी खरात ने अपने सोशल मीडिया पर यह बयान जारी किया.
बीएसपी को एक और झटका, पार्टी के महासचिव आर. के. चौधरी का बीएसपी से इस्तीफा, 2 बजे मीडिया से करेंगे बात । आगे बताते चले की दद्दू प्रसाद की तरह स्वामी प्रसाद मौर्या और आर के चौधरी भी बहुजनो के नायक मा, कांशीराम के विचारो को साकार करने के लिए बी एम पी :बहुजन मुक्ति पार्टी में शामिल होंगे
ये आंधी सिर्फ उत्तर भारत में ही नही पुरे भारत में कहर बन कर उठेगी - विलास खरात
एमआईएम और बीएमपी के बिना सरकार बनाना मुश्किल
भारत में सबसे सबसे बहुचर्चित चुनाव उत्तर प्रदेश का होता है. लेकिन इस बार उससे भी ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है. सभी पुरानी पार्टियों को छोड़ जनता अब नया विकल्प ढूंड रही है यह साफ़ दिखाई दे रहा है. पहली बार यूपी चुनाव में कदम रखे ओवैसी भी काफी चर्चा में है. बताया जा रहा है की, बहुजन मुक्ति पार्टी और एमआईएम दोनों के बिना सरकार बनाना मुश्किल होने वाला है. ओवैसी ने पहली बार यूपी में कदम रखा और जनसमर्थन में बीएसपी को पीछे छोड़ा और बड़ी पार्टियों की चिंता बढ़ गयी है. सभी बड़ी पार्टिया एवं बड़े बड़े कद्दावर नेता पहली बार यूपी चुनाव मैदान में उतरे एमआईएम से चिंतित दिखाई दे रही है.
बड़ी पार्टियों के लिए एमआईएम और बीएमपी बना चिंता का विषय.
पहली बार यूपी चुनाव में कदम रखे पार्टियों ने हासिल किया जनसमर्थन