बेगुनाह, पर कैद, अखिर क्यों ? - रिहाई मंच
फाइल फोटो |
आइए इस हकीकत से दोस्तों को रुबरु कराया जाए . .
दोस्तों,
यूपी में आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की लगातार हो रही रिहाई के बाद उनसे संबधित कोई तथ्यात्मक दस्तावेजों का बेहद अभाव है। जो हैं वो मीडिया व वह सरकारी कथन हैं जो इन बेगुनाहों के खिलाफ ही हैं।
हमारी एक कोशिश इन दिनों चल रही है कि इन बेगुनाहों के कैद होने से पहले, कैद के दौरान व रिहा होने के बाद की इनकी जिंदगी को कागज के पन्नों पर उतारा जा सकेे। जहां न्यायालय से लेकर सड़क पर इंसाफ की इस जद्दोजहद को सामने लाते हुए नई चुनौतियों पर बात की जा सके।
इस कोशिश में हमें आपके सुझावों व सहयोग की जरुरत है।
# जिससे कानून की उन पेचिदिगियों पर बहस की जा सके जिसने उनको इतने सालों तक कैद खानों में रहने को मजबूर किया।
# सरकार जो देश के नागरिकों के प्रति उसकी जिम्मेदारी होती है उसने किस तरह से एक समुदाय विशेष के होने के नाम पर उनके साथ एक दुश्मन जैसा व्यवहार किया।
# पुलिस जिसका कर्तव्य आम आदमी की सुरक्षा का था उसने एक समुदाय विशेष के युवकों पर आतंकी का ठप्पा लगाकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का झूठा आरोप मढ़कर किस तरह से खुद सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का काम किया।
# जहां उनके व उनके परिवार के दुख दर्द को साझा करने के साथ ही हम उस राजनीति व उस पुलिसिया तंत्र को बेनकाब कर सकें।
ऐसे बहुतेरे सवालों के साथ एक मजबूत दस्तावेज जिसको हाथ में लेकर आप बेगुनाहों को किस तरह से फसाया जाता है इस बात को अपने उस पड़ोसी को बता सकें जो मीडिया की दहशगर्दी का शिकार हो गया है।
इसमें हमें आपके सुझाव व सहयोग की जरुरत है।
रिहाई मंच
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