Type Here to Get Search Results !

Click

हाशिमपुरा जनसंहार के लिए मुलायम सबसे बड़े दोषी-रिहाई मंच

22 मई 1987. एक पुलिस वैन आकर इस मुस्लिम इलाके में रुकी. एक के बाद एक नौजवानों और लड़कों को गाडी में भरा गया. तेरह से पचहत्तर साल तक के लोग, जिनको शहर के बाहर नहर पर ले जा कर उतारा गया, उस के बाद एक एक करके गोली मार दी गयी. लाशें नहर में बहा दी गयीं. सिर्फ एक, ज़ुल्फ़िक़ार निसार, इन लाशों के बीच दम साधे पड़ा रहा और बच गया. यही चश्मदीद गवाह था जिसने देहली के एम्स में इलाज के बाद, पूरा वाकया बयान किया था. उस ज़माने में टीवी चैनल एक ही था, मीडिया राज्य-नियंत्रित होता था. कांग्रेस राज के दर्जनों, हत्याकांडों की तरह, ये भी भुला दिया गया. दशकों केस चला, अदालत ने भी पुलिस वालों को बरी कर दिया.                                                                      -संपादक

हाशिमपुरा जनसंहार के लिए मुलायम सबसे बड़े दोषी-रिहाई मंच
मुलायम के कार्यकाल में ही नष्ट किए गए अहम सबूत
हाशिमपुरा जनसंहार की हर बरसी मुसलमानों को सपा द्वारा दिए गए धोके की याद दिलाता है।
लखनऊ 22 मई 2016। रिहाई मंच ने समाजवादी पार्टी पर हाशिमपुरा जनसंहार के दोषी पुलिस व पीएसी अधिकारियों को बचाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस मामले में इंसाफ न मिल पाने के सबसे बड़े दोषी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव हैं। 

हाशिमपुरा जनसंहार की 29 वीं बरसी पर लाटूश रोड स्थित रिहाई मंच कार्यालय पर हुई बैठक में मंच के अध्यक्ष मोहमद शुऐब ने कहा कि घटना के दिन पीएसी और पुलिस बल की तैनाती से सम्बंधित सारे सबूत जो दोषियों को सजा दिलवाने के लिए प्रयाप्त होते, 1 अप्रेल 2006 को साजिशन नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि तब मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे और इतने अहम मुद्दे के सबूतों को नष्ट करने का काम बिना मुख्यमंत्री की सहमति के नहीं हो सकता था। उन्होंने कहा कि हाशिमपुरा जनसंहार की हर बरसी मुसलमानों को सपा जैसी तथाकथित सेक्यूलर पार्टियों द्वारा दिए गए धोखे की याद दिलाता है।

रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा कि 22 मई 1987 को हुए हाशिमपुरा जनसंहार जिसमें 42 मुसलमानों को पीएसी और पुलिस ने उनके मोहल्ले से उठाकर गंग नहर में मार कर फेंक दिया था और उसके दो दिन बाद मेरठ के ही मलियाना मोहल्ले में पीएसी और पुलिस द्वारा 72 मुसलमानों की हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद मुलायम सिंह ने हाशिमपुरा और मलियाना को इंसाफ दिलाने का वादा करते हुए मुसलमानों से चौराहों-चौराहों पर वोट मांगा था। लेकिन तीन बार मुख्यमंत्री रह कर उन्होंने सिर्फ दोषी पुलिस अधिकारियों को प्रमोशन देने का ही काम नहीं किया बल्कि उनके कार्यकाल में 1 अप्रेल 2006 को हाशिमपुरा के हत्यारे पीएसी और पुलिस अधिकारियों की घटना के रात की तैनाती से जुड़े सभी दस्तावेजी सबूत नष्ट कर दिए गए जिसका खुलासा खुद पीड़ितों द्वारा प्राप्त आरटीआई से हुआ है। उन्होंने कहा कि इसी तरह उसी दौरान मलियाना केस का एफआईआर भी थाने से गायब कर दिया गया जिसके कारण वो मुकदमा भी मुलायम मार्का सेक्यूलरिज्म की भेंट चढ़ गया।


रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने हाशिमपुरा, मलियाना से लेकर बाबरी मस्जिद और मुजफ्फरनगर तक सिर्फ दोषियों को बचाने का काम किया है। उन्होंने कभी बाबरी मस्जिद को गिराने के साजिशकर्ता आडवाणी के खिलाफ आरोप पत्र वापस ले लिया तो कभी गाजियाबाद में राजनाथ सिंह के खिलाफ प्रत्याशी ही नहीं खड़ा किया। अखिलेश यादव भी अपने पिता के रास्ते पर चलते हुए संघ परिवार की सेवा में लगे हैं। इसीलिए उन्होंने मुसलमानों को काटने का आह्वान करने वाले वरूण गांधी पर से मुकदमा उठा लिया तो वहीं अखलाक की हत्या की जांच सीबीआई से कराने की मांग न करके संघी हत्यारों को बचने का रास्ता दे दिया। उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार हाशिमपुरा के दोषियों को बचाने में अपनी भूमिका के उजागर होने से इस कदर घबराती है कि उसने पिछले साल इस मुद्दे पर रिहाई मंच द्वारा लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम को सिर्फ रोका ही नहीं बल्कि आयोजन से जुड़े 34 लोगों पर अमीनाबाद थाने में दंगा भड़काने का मुकदमा भी लाद दिया। बैठक में शाहनवाज आलम, लक्ष्मण प्रसाद, हरे राम मिश्र, अनिल यादव आदि मौजूद रहे।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies