मौलाना तौकीर का इत्तेहादी नाटक ख़त्म, कांग्रेस बीजेपी को सत्ता में बैठाना हराम नहीं, देवबंद जाना हराम है
मुसलमान कौम के खातिर देवबंद गए तौकीर रजा, चार लोगो के कहने पर मुसलमान कौम को हवा में छोड़ कर गूल हो गए. नाटक छोटा था लेकिन अच्छा था,
भक्तो के लिए विशेष सुचना- मैं ना देवबंदी हूँ ना बरेलवी ना किसी फिरके का समर्थक, मैं तो बस एक मुसलमान और इस्लाम का फालोवर हूँ
(सुचना देना इसलिए जरुरी है की, भक्त लोगो के पास सोचने और समझने के लिए दिमाग नहीं होता, बेचारे खुदको मुसलमान कहते है और गन्दी गालियों की बौछार करते है. भक्तो के गालियों का भी स्वागत है -अहेमद कुरेशी
मुसलमानों को लेकर मुसलमानों की बहुत फ़िक्र हो ऐसा माहौल बनाकर मौलाना तौकीर रजा ने एक नाटक रचा था और नाटक कुछ दिन ही चला और चार दिन में ही ख़त्म हुआ. गौरतलब है की, देवबंद जाने को मुफ्त (मुफ़्ती) लोगो ने फतवा निकाला के देवबंद जाना हराम करार दिया है. चलो मैं तो मुफ़्ती नही हूँ, कहाँ जाना हराम है मुझे पता नहीं. लेकिन एक बात बताना चाहूँगा. जितने भी बरेलवी है उन्होंने आजतक कौनसे बरेलवी को वोट दिया ? भारत के आजादी से आजतक भारत पर मुसलमानों का राज्य स्थापित नहीं हुआ. तो साफ़ जाहिर है की, कांग्रेस को ही राज दिया होगा ? तो फिर कांग्रेस का साथ देना हराम नहीं है लेकिन देवबंद जाना और देवबंदियो का साथ देना हराम है. है ना कमाल का ढक्कन ?
ऊपर दिखाई दे रही तस्वीर में बरेलवी हजरात नरेंद्र मोदी का साथ देते हुए. इनके लिए यह काम हराम नहीं है. देवबंदियो का साथ देना हराम है.
कुरआन कहता है.
" जिन लोगो ने तुम्हारे इस्लाम के बारे में जंग नहीं की, और जिन लोगो ने तुम्हे अपने घरो से नहीं निकाला, ऐसे लोगो (फिर वह गैरमुस्लिम ही क्यों ना हो) के साथ भलाई और इन्साफ करने से खुदा तुम्हे नहीं रोकता. खुदा तो इंसाफ करने वालो को ही पसंद करता है. (अल कुरआन- सुराः 60, आयात 08)
जरुर देवबंदियो ने इस्लाम के खिलाफ बरेलवियो से जंग लाधी होगी, और बरेलवियो को अपने घरो से निकाला होगा इसीलिए बरेलवी हाज्रात देवबंद जाने को हराम करार दे रहे है. वरना इन बरेलवियो की क्या मजाल जो कुरआन के खिलाफ जाकर काम करे ?
तो बताओ देवबंदियो ने कितनी बार, कब कब, और कहाँ कहाँ इस्लाम के खिलाफ जंग की ? कितने बरेलवियो को अपने घरो से निकाला ?
मैं जहांतक जानता हूँ हमारे नबी मुहम्मद मुस्तफा (सलाल्लाहू अलैहि व सल्लम ने गैर मुस्लिमो को दावत दि, और उनकी एक शादी में एक इसाई से मदत ली थी, और गैर मुस्लिमो के साथ वह इन्साफ किया करते थे यही वजह है जो आज बरेलवी मुसलमान बने है. वरना शुद्र, अतिशुद्र, अछूत, ही रहते. ऐ घमंड करने वालो तुम मुसलमान तब हुए जब तुमने भारत में गैर मुस्लिमो के साथ इन्साफ कियी, उनके साथ अच्छा सुलूक किया, और जब उनको साथ सहयोग किया.
लिखने को तो बहुत कुछ है. लेकिन आज के लिए बस इतना काफी है. क्यूंकि मुसलमान कौम के हमदर्दी का नाटक करने वाले चाँद लोगो के हमदर्दी के खातिर कौम को हवा में छोकर गूल हो गए.
लेखको के विचार बरेलवियो के लिए.
अंग्रेज को लेकर विचार :"पार्टिसन्स ऑफ़ अल्लाह, जिहाद इन साउथ एशिया" की लेखिका आयशा जलाल कहती है कि "अहमद रज़ा खान साहब ने भारत को अंग्रेज़ो के काल में "दारुल इस्लाम" घोषित कर दिया था। उनका मानना था कि चूंकि अंग्रेजी हुकूमत ने मुसलमानो को धार्मिक कर्मकांड करने की स्वतंत्रता दी है इसलिए हमे न तो अंग्रेज़ो से जिहाद करने की आवश्यकता है न ही हिजरत(माइग्रेशन) करने की आवश्यकता है।जबकि दूसरी ओर देवबंद के कासिम नानोति साहब ने अंग्रेज़ो की हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल हुआ था और भारत को दारुल हरब घोषित करके मुसलमानो को अंग्रेज़ो से जिहाद के लिये प्रेरित कर रहे थे"