मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम बेगुनाहों को फ़ोकट में सजा नहीं मिलनी चाहिए. और किसी बेगुनाह की जिंदगी तबाह करने का किसीको हक़ नहीं. जांच एजेंसियां पहले ठिक से जांच नहीं करती बिना सबूतों के मुसलमानों को 05/10/15 साल जेल में सडाया जाता है. इतना तो अच्छा है की हमारी न्याय व्यवस्था अन्यायी नहीं है. बस मुसलमानों के लिए अब न्यायालयों के सिवा कोई भरोसे के लायक नहीं. अबतक सैकड़ो मुसलमानों को न्यायालयों ने बेगुनाह होने के कारण बरी कर दिया इस बार मालेगाव बम ब्लास्ट के आरोपी भी बाइज्जत बरी हुए. लेकिन अब सवाल यह उठता है की, इनके जिंदगी के पांच साल और इनकी बर्बादी की भरपाई करेगा कौन ?
महाराष्ट्र के मालेगांव में 2006 में हुए बम ब्लास्ट के मामले में सभी 9 मुस्लिम आरोपियों को मुंबई की एक कोर्ट ने आखिर 5 साल की लम्बी मुद्दत के बाद बरी कर दिया है। बता दें कि 2006 के धमाके में मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और सरहद से जुड़ा बताया था। इस मामले में एनआईए ने इन लोगों को क्लीनचिट नहीं दी थी और डिसचार्ज का विरोध किया गया। इसमें से 9 आरोपी मुस्लिम थे पिछले दिनों एनआईए को इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल पाया जिस कारण यह रिहा हुए.
उल्लेखनीय है कि असीमानंद ने अपने इकबालिया बयान में सुनील जोशी का नाम लिया था । बताया जाता है कि सुनील जोशी ने इस हमले के बारे में कहा था कि उनके लड़कों ने यह काम किया था। बाद में सुनील जोशी की हत्या हो गई थी। पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई थी। मुख्य आरोपी नुरुल ने एनडीटीवी से कहा कि हमें एटीएस ने जबरजस्ती गिरफ्तार किया और इकबालिया बयान लिया। वहीं, 2008 में हुए धमाके के मामले में एटीएस की जांच में अभिनव भारत संस्था का नाम सामने आया था। इस मामले में स्वामी असीमानंद, कर्नल पुरोहित सहित साध्वी प्रज्ञा सिंह को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले की जांच जारी है। (तस्वीर सियासत डॉट कॉम से साभार)